चूहा और टमाटर

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

रामलाल बहुत गरीब था। इतना गरीब कि गरीबी भी बोल उठे कि इस दुनिया का सबसे गरीब इंसान रामलाल ही है। ऐसी गरीबी में एक दिन उसके घर में एक चूहा घुस आया। चूहा इतना जिद्दी था कि भगाओ तो भागने का नाम नहीं ले रहा था। मानो किसी नेता से प्रशिक्षण लेकर आया हो। रामलाल था कि उसे भगाने के चक्कर में अपनी हालत खराब कर चुका था। इतना होने पर भी चूहे को रामलाल पर तरस आना तो दूर उल्टे उसकी आँखों के सामने बिल से निकलकर घर के चार चक्कर लगाने में अपनी बहादुरी समझता।

रामलाल से रहा नहीं जा रहा था। मानो काटो तो खून नहीं। वह किसी भी सूरत में चूहे को भगाने पर आमादा हो गया। उसने अपने मित्र श्यामलाल को चूहा पुराण रो-धोकर सुनाया। श्यामलाल उसकी पीड़ा सुन पहले पहल तो हँस पड़ा फिर बाद में विषय की गंभीरता को समझते हुए कहा, तुम्हारी पीड़ा सुनकर मुझे बड़ी दया आ रही है। इतनी छोटी सी बात के लिए भला कोई दुखी होता है। तुम एक काम करो। चूहे को पकड़ने के लिए चूहादानी ले आओ। दो मिनट में पकड़ा जाएगा और तुम्हें छुटकारा मिल जाएगा।

रामलाल ने कहा, तुम भी अजीब बात करते हो। चूहादानी खरीदने के लिए मेरे पास पैसा कहाँ है। बेरोजगार के ख्वाब होते हैं, ज़ॉब नहीं। कुछ सोच-समझकर उपाय दिया करो।

श्यामलाल ने कहा, ठीक है -  ठीक है। चूहे मारने वाला जहर ही खरीद लो। इधर चूहा जहर खाएगा उधर उसका काम तमाम हो जाएगा। रामलाल ने कहा, अरे यार जहर भी तो महंगा होता है। मैं इतने पैसे कहाँ से लाऊँगा। तुम्हीं बताओ। श्यामलाल ने कहा – तब एक काम करो उसे पकौड़ी खिलाओ। पकौड़ी खाते समय उसे मारने में आसानी होगी। इससे अच्छा उपाय और क्या हो सकता है? रामलाल ने कहा, अब तुम्हें क्या बताऊँ। खाना खाए मुझे दो दिन हो गए हैं। यहाँ दाने के लाले पड़े हैं और तुम कहते हो कि चूहे को पकौड़ी खिलाओ। जो भी बोलो कुछ सोच-समझकर बोलो।

श्यामलाल ने कहा, अब एक ही काम कर सकते हो। कम से कम एक टमाटर की व्यवस्था कर लो। तुम उसे यह तो खिला ही सकते हो न। रामलाल ने कहा, टमाटर खिलाने के चक्कर में मेरा घर ही बिक जाएगा। देखते नहीं टमाटर सोने को मात दे रहा है। श्यामलाल ने अंत में कहा, अब जाने भी दो। जिसकी जैसी किस्मत। वह तो चूहे की बदकिस्मती होगी कि वह तुम्हारे जैसों के पल्ले पड़ा हो। तुम इसी तरह चूपचाप पड़े रहो। चूहा अपने आप तुम्हारी गरीबी देखकर नौ दो ग्यारह हो जाएगा।

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’, प्रसिद्ध नवयुवा व्यंग्यकार