मुझ पर दोस्तों का प्यार, यूँ ही उधार रहने दो |


मुझ पर दोस्तों का प्यार,
यूँ ही उधार रहने दो |
बड़ा हसीन है, ये कर्ज,
मुझे कर्ज़दार रहने दो ||



वो आँखें जो छलकती हैं,
ग़म में, ख़ुशी में, मेरे लिए |
उन सभी आँखों में सदा,
प्यार बेशुमार रहने दो ||


मौसम लाख बदलते रहें,
आएँ भले बसंत-पतझड़ |
मेरे यारों को जीवन भर,
यूँ ही सदाबहार रहने दो |


महज दोस्ती नहीं ये,
बगिया है विश्वास की |
प्यार, स्नेह के फूलों से,
इसे गुलज़ार रहने दो ||


वो मस्ती, वो शरारतें,
न तुम भूलों, न हम भूलें |
उम्र बढ़ती है..खूब बढ़े,
जवाँ ये किरदार रहने दो


=कवि मेरे मित्र जेड ए आजमी बरिष्ठ पत्रकार है