युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
मौन रहो ना अब कुछ बोलो
मुखरित राग विराग हरो,
मुझको तुमसे प्यार हुआ है
अब इसको स्वीकार करो।
मेरे गीतों में स्वर तेरा
शब्द मेरे संगीत तेरा
नवल स्पंदन मेरे हृदय का
वीणा के झंकृत तारों सा
मेरे जीवन की बगिया में
अब थोड़ा अनुराग भरो
मुझको तुमसे प्यार हुआ है
अब इसको स्वीकार करो।
मैंने जब से तुम को देखा
जोड़ी है हाथों की रेखा
दिल की बेचैनी ने छीना
रातों दिन का चैन सुकूना
मेरे अंधियारे जीवन में
आस उजास प्रकाश भरो
मुझको तुमसे प्यार हुआ है
अब इसको स्वीकार करो।
चाहे जितने दूर रहो तुम
पर मेरे दिल के पास सखे!
सोते जगते नींदों में भी
प्यार भरे एहसास दिखे।
तुमसे मिलने की बेताबी
अब तुम भी इकरार करो
मुझको तुमसे प्यार हुआ है
अब इसको स्वीकार करो।
प्यार प्रीत का छलके प्याला
जपता प्रणय गीत की माला
दिल मेरा है भोला भाला
विरही विष का पीता हाला
आओ अलका के मन मीता
भर आलिंगन प्यार करो
मुझको तुमसे प्यार हुआ है
अब इसको स्वीकार करो।
मौन रहो ना अब कुछ बोलो
मुखरित राग विराग हरो,
मुझको तुमसे प्यार हुआ है
अब इसको स्वीकार करो।
डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' विद्या वाचस्पति
लखनऊ उत्तर प्रदेश।