बसंतोत्सव आनंदोत्सव खुशियांं मनाऐं चहुंओर...!

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

बसंतोत्सव  का अनोखा आनंद है जीवन में जिसके आगमन से प्रकृति की छटा भाने लगती हैं और हमारे जीवन में उल्लास का अनुभव होता हैं। पेड़ पौधे, बाग बगीचे वन उपवन सब महकने लगता हैं। मनुष्य व प्राणियों में नये उत्साह का वातावरण निर्मित होता हैं।

मनुष्य का सारा ध्यान बसंती पुरवाई का आनंद उठाता है, नई फसलों, नये फलों, रंगबिरंगी फुलों और आम की अमराईयों, नदी, तालाब, पर्वतों और खुले सुंदर आसमान में उड़ते पंछियों में रम जाता हैं। मंगल कार्यों की शुरूआत करने का मन करता हैं। बसंत पंचमी मां सरस्वती की आराधना, पूजन-वंदन, स्तुति कर ज्ञान का आशीर्वाद ग्रहण करने का महोत्सव हैं हमारी संस्कृति के अनुरूप बहुत गहरी भावनाओं और आनंदपूर्वक मनाते हैं। दुखों को भूल जाना हैं। नये रुप में बसंत कि बखान करें तो समझो दिल यही याद करता हैं।

धानी चुनर वाली बगियाँ मतवाली,

रंगबिरंगे फूलों की महक डाली डाली,

गेहूं की नई फसलों पर आ रही बाली,

हौले सिक रहे भीनी  खुशबू मतवाली,

कच्ची केरियों से झूम रही पेड़ों की डाली,

सरसों की खुशबू से सराबोर हो रहे,

विहग स्वतंत्र विचर रहे आसमान में,

कोयल-पपीहे मधुर गीत सुनावे,

मोरमोरनी झूमझूम के नाचे गाये,

सब लोगन के तनमन हर्षाये,

बसंत तुम रितुओं के राजा,

बसंत पर्व मनायें, नई खुशहाली,

से जीवन अपना स्वर्ग बनायें,

वीणावादिनी की स्तुति गायें,

बसंतोत्सव में रमेरमायें !

इसलिए चलो आऐं, बसंतोत्सव आनंदोत्सव की खुशियांं मनाऐं चहुंओर...!


- मदन वर्मा " माणिक "

 इंदौर, मध्यप्रदेश

मो. 6264366070