राजभाषा हिंदी के बढ़ते कदम


युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

भारतवर्ष को काफी संघर्ष के पश्चात दिनांक 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी । भारत की संविधान सभा द्वारा अनुच्छेद 343 के अंतर्गत दिनांक 14 सितंबर 1949 से हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित की गई । भारतीय संविधान में राजभाषा हिंदी का उपयोग संविधान की उद्देशिका में प्रमुख रूप से वर्णित किया गया है । हिंदी हमारी राजभाषा ही नहीं देश की अस्मिता और पहचान है । भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है । संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी रहेगी और उसके अनुच्छेद 351 के अनुसार हिंदी भाषा का प्रसार, वृद्धि करना और उसका विकास करना, ताकि वह भारत की सामाजिक सांस्कृतिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके, संघ का कर्तव्य है । भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है जिसमें हर प्रांत की अपनी एक भाषा और बोलियां हैं और हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की कड़ी है, जो संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है । हिंदी भाषा बहुत ही सरल, सहज एवं मधुर है । देश में सभी जगह बोले जाने वाली आम जनों की भाषा है । आज इस देश का किसान, मजदूर, कर्मचारी, अधिकारी और आम जनता अपने नियमित कार्यों में हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं । राजभाषा हिंदी संपूर्ण देश में अधिकांश लोगों द्वारा बोली एवं समझी जाने वाली एक सक्षम एवं समर्थ भाषा है । इसमें विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति एवं शब्द को स्वीकार कर आत्मसात करने की प्रवृत्ति रही है । जिसके फलस्वरुप हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव डाल रहा है ।भूमंडलीकरण के दौर में जिस प्रकार हिंदी अखबार, पत्रिका, किताब, उपन्यास एवं हिंदी चैनलों के दर्शक की संख्या भारत में बढ़ रही है, उसी प्रकार विदेशों में भी भारत में रुचि रखने वाले बहुत से लोग हिंदी के प्रति आकर्षित हो रहे हैं एवं हिंदी सीख रहे हैं । विदेशों से भी भारत के साथ व्यापार संबंध बढ़ने के कारण हिंदी के प्रति अभिरुचि बढ़ी है । राजभाषा हिंदी सरकारी एवं अर्धसरकारी कार्यालयों में प्रयोग हो रहा है । कंप्यूटरीकरण का प्रचार प्रसार के बाद लोगों ने कंप्यूटर पर हिंदी में शुरुआत की । राजभाषा विभाग ने यूनिकोड को कंप्यूटर में सक्रिय करवा कर इस कार्य को काफी आसान बना दिया । राजभाषा विभाग ने डिपार्टमेंटल ऑफिशियल लैंग्वेज पोर्टल में एक ई-महाशब्दकोष की स्थापना की है, जिसमे कि शब्दों का प्रयोग उचित जगह पर किया जा सकता है । इस संबंध में यह स्वीकार किया जा सकता है कि राजभाषा हिंदी का कंप्यूटरीकरण लगभग हो चुका है । देश के लगभग 70 प्रतिशत लोग हिंदी में अपनी बातें बोलने में सक्षम हैं । विश्व के भाषाविदों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि विश्व में हिंदी जानने वालों की संख्या सबसे अधिक है । हिंदी विश्व के 40 से अधिक देशों में बोली एवं समझी जाती है । हिंदी को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी कार्यों में समृद्ध किया गया है वहीं दूसरी तरफ सूचना एवं प्रौद्योगिकी के अनुरूप भी बनाया गया है । हिंदी में अपनी मौलिकता एवं सुगमता के कारण राष्ट्र की संस्कृति एवं साहित्य को जीवंत बना रखा है । भारत में 22 भाषाएं, 10 लिपियां तथा 1965 बोलियां प्रचलित है, जिसमें हिंदी यहां की प्रमुख भाषा है । विश्व के लगभग 137 विश्वविद्यालयों में हिंदी का शिक्षण होता है । विदेश के बाजारों में प्रचार प्रसार बढ़ रहा है ।हिंदी पुस्तकों का मुद्रण प्रकाशन भी विश्व स्तर पर हो रहा है । भारत के अतिरिक्त सीमा पार के अनेक देशों में हिंदी का व्यापक प्रचार हो रहा है । मारीशस तथा नेपाल में प्रचुरता से हिंदी बोली एवं समझी जाती है । हिंदी के अत्याधिक प्रसार के कारण ही अमेरिका में हिंदी अखबार का प्रकाशन हो रहा है, जिसमें उसके पाठकों एवं लेखकों की संख्या में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है । सांस्कृतिक एवं पारंपरिक महत्व को समेट हिंदी अब विश्व में लगातार अपना फैलाव कर रही है । इंटरनेट के इस युग में हिंदी को वैश्विक स्तर पर अपना प्रचार-प्रसार हेतु वृहद आयाम खोल दिया है । हिंदी जानने समझने एवं बोलने वालों की बढ़ती संख्या के कारण विश्व की अनेक वेबसाइट हिंदी को भी प्रमुखता प्रदान कर रही है । ई-मेल, ई-कामर्स, इंटरनेट, एस एम एस एवं वेब जगत में हिंदी को बड़ी सहजता से पाया जा सकता है । माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, आईबीएम तथा ओरेकल जैसे कंपनियां भी अत्यंत व्यापक बाजार को देखते हुए हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है । सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर की तर्ज पर हिंदी भाषा में मूषक नामक सोशल साइट बनाई गई है । हिंदी की वैश्विक स्तर पर पहुंच एवं पहचान के फलस्वरुप विदेश में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं । यूएई के 'हम एफ-एम' सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं । अमेरिका में 32 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है । ब्रिटेन की लंदन यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज और यार्क यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ाई जाती है । जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों ने हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन को अपनाया है । एक अध्ययन के अनुसार हिंदी सामग्री की खपत करीब 94 प्रतिशत तक बढ़ी है । हर पांच में से एक व्यक्ति हिंदी में इंटरनेट प्रयोग करता है । फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप में हिंदी में लिख सकते हैं । हिंदी में अनेक सॉफ्टवेयर और स्मार्टफोन एप्लीकेशन उपलब्ध है । आज के समय में करोड़ों लोग हिंदी भाषा में कंप्यूटर का प्रयोग कर रहे हैं । वर्तमान समय डिजिटलाईजेशन का है, जिसमें भारत के गांव को भी इससे जोड़ा जा रहा है । यहां के लोग हिंदी माध्यम से ही दुनिया के साथ जुड़े हैं । डिजिटल दुनिया के दौर में भी लगभग सभी कार्ययोजना हिंदी में उपलब्ध होने के कारण इसकी व्यापकता ग्रामीण स्तर तक पहुंची है ।
हिंदी में साहित्य सृजन की परंपरा काफी पुरानी रही है । संस्कृत भाषा के बाद हिंदी भाषा का काव्य साहित्य श्रेष्ठतम माना जाता है । जिसमें लिखित उपन्यास एवं समालोचना भी विश्वस्तरीय है । आज की हिंदी एक समृद्ध एवं विकासशील भाषा है, जो बड़े ही आसानी से अन्य विदेशी भाषाओं के शब्दों को भी आत्मसात कर लेती है । अकेले अंग्रेजी के दस हजार से अधिक शब्द हिंदी भाषा में शामिल हो चुके हैं । ताजा आकलन के अनुसार पिछले 10 वर्षों में हिंदीभाषी लोगों की संख्या में 10 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है । बिगत 5 साल में दक्षिण में हिंदी सीखने वाले की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है । हिंदी भाषा के शब्दकोश में शब्द 20 हजार से बढ़कर 1.5 लाख हो गए हैं । हिंदी में इंटरनेट प्रयोग करने वाले की संख्या 94 प्रतिशत से बढ़ रही है । साथ ही 68 प्रतिशत लोगों ने हिंदी पर अपना भरोसा दिखाया है । आज हिंदी केवल हिंदुस्तान की भाषा ना होकर संपूर्ण विश्व की भाषा बन चुकी है।

अमरजीत कुमार "फरहाद"
लेखानगर, नासिक
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