प्रतीक्षारत सूरजमुखियों के हिस्से की धूप..

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

सब कुछ इतना सहज और अचानक हुआ

कि मैं बिना कुछ सोचे..बिना कुछ समझे

चलती चली गई 

उन अजनबी रास्तों पर

बगैर कोई परवाह किए हुए ही,

सिर्फ आकर्षण तो नहीं था..

और न ही 

पहले से तय किए हुए क्षणों का प्रयास..

कभी तो यूं भी लगा कि शायद 

होगा ये भी कोई विधि का विधान,

हल्की गुलाबी सर्द हवाओं में

मानों पॉपकोर्न की नमकीन महक के साथ

आईसक्रीम का ठंडा और मीठा सा एहसास..

ज़रूर कुछ तो था

रोजमर्रा जिंदगी को बतियाने का प्रयास भी नहीं..

अपने-अपने दुखों को बांटने का उपाय भी नहीं..

महज़ एक सुकून की तलाश भी नहीं..

लेकिन कुछ तो था ऐसा

मानों प्रतीक्षारत सूरजमुखियों को

मिल गईं हो उनकी अपने हिस्से की धूप !!

नमिता गुप्ता "मनसी"