मैं सांसों को सबकी दुआ चाहता हूं

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

 

यकीनन जो मिला क्या शिकायत करूं

मगर, कहीं कुछ तो 'मन का' चाहता हूं !!


चाहा नहीं कि चांद, सूरज,,सब मेरे हों

उड़ने को 'आसमान ज़रा' चाहता हूं !!


यहां तेज रफ़्तार है ज़िंदगी की बहुत

मैं तनिक देर को ठहरना चाहता हूं !!


तेरे इश्क़ की इंतहा,, ये मुझे क्या पता

मैं तो जन्मों का सिलसिला चाहता हूं !!


मैं नहीं लिख सकूंगा तेरे रंग-रूप पर

माफ़ कर, कशिश इश्क की चाहता हूं !!


कहने को तो कह दूं और बहुत कुछ

मगर मैं एक 'रुहानी ग़ज़ल' चाहता हूं !!


धूप, बारिश, हवा,, सब सलामत रहे

मैं सांसों को सबकी ये दुआ चाहता हूं !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश