मैं राम बनूँ

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मैं राम बनूँ मस्त खेलूँ,

अवध नगर में।

चाँद भी है सूरज भी है,

और है नवलख तारा।

पुनित शीतल रातें,

शुभ दिवस उजियारा।

मैं आगे बढ़ूँ बढ़ता रहूँ,

सरयू डगर में।

मैं राम बनूँ....

कंधे पर धनुष रख,

बाणों से भरा तूणीर।

साथ में गुरुवर मेरे,

और भाई लखन वीर।

मैं आगे चलूँ चलता रहूँ,

जंगल बीहड़ में।

मैं राम बनूँ....

माथ पर तिलक मेरे,

गले में तुलसी माला।

मन में है इक आस,

मुझे मिले जनक-बाला।

मैं पग धरूँ धरता रहूँ,

मिथिला शहर में।

मैं राम बनूँ....


टीकेश्वर सिन्हा " गब्दीवाला "

व्याख्याता (अंग्रेजी)

घोटिया-बालोद (छत्तीसगढ़)

सम्पर्क : 9753269282.