मकर संक्रांति----- दोहा छंद

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


डोरी संग पतंग हे,  मिले मया के रंग ।

उड़ाबोन जुरमिल सबो, आही मजा मतंग ।।


सँकरायत के दिन बने, तिल लाडू के पाग ।

आज परब हे खास जी, हमरो जागे भाग ।।


घर-घर खुशी मनाव जी, आये पावन वार ।

दुख दारिद ला भूल के, बाँटव मया दुलार ।।


पबरित तन मन होय जी, कर लौ पूजा ध्यान ।

हवय महत्तम आज के, देवव तिल गुड़ दान ।।


सँकरायत के हे परब, खिचड़ी मेवा खाव ।

करके गंगा स्नान जी, भाग अपन सँहिराव ।।


मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा (छ.ग.)

मो.नं- 8966095681