अपर निदेशक चकबंदी ने दिलाया पीड़ितों को न्याय का भरोसा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

नए 2023 के आदेश को दरकिनार कर 1985 के निरस्त आदेश का अनुपालन कराए जाने का मामला हुआ उजागर

आजमगढ़। चकबंदी के 2003 के आदेश के सापेक्ष 1985 के आदेश को अमल में लाए जाने के मामले की शिकायत पीड़ित ने अपर निदेशक चकबंदी से करते हुए न्याय दिलाने की मांग किया। सर्किट हाउस में मामले की सुनवाई करते हुए अपर निदेशक चकबंदी ने अधिकारियों को दो दिन में न्याय करने का निर्देश दिया।

अपर निदेशक चकबंदी को सौंपे गए पत्रक में रानी की सराय थानांतर्गत कोटिला गांव निवासी पीड़ित मो राशिद पुत्र शोएब, सुफिया पत्नी शोएब, मुहम्मद अहमद पुत्र शब्बीर एवं मोह अबुजर, मो कौसर, जमाल अख्तर व शमीम आदि ने बताया कि एक आदेश दिनांक 21 अगस्त 1985 का था जिस पर सुनवाई के दौरान न्यायालय चकबंदी अधिकारी फूलपुर ने 09 अप्रैल 2003 को पूर्व के आदेश को निरस्त करते हुए कहाकि शब्बीर को 100 रूपए हर्जे पर दफा 5 मियाद लाभ दिया जाता है, तजबीजसानी शब्बीर दिनांक 28.08.2001 स्वीकार की जाती है आदेश दिनांक 21.08.1985 व 17.01.1986 को निरस्त किया जाता है। इसके विरूद्ध विपक्षी जाहिदा ने डीडीसी के समक्ष निगरानी वाद दाखिल किया जो 03.07.2003 को निरस्त है।

पीड़ितों का आरोप है कि हमारे पक्ष में आदेश होने के बावजूद विपक्षियो ने चकबंदी अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने प्रभाव में लेकर निरस्त आदेश का अनुपालन पत्र संख्या 1443/1444 आदेश दिनांक 07.11.2023 से कर दिया गया है। इसी पर आपत्ति दर्ज कराते हुए पीड़ित ने अपर निदेशक चकबंदी से भेंट कर मामले की शिकायत कर दिया। जिसके बाद से ही चकबंदी अधिकारियों और कर्मचारियों की भ्रष्ट कार्यशैली उजागर हो गई। बताया कि मामलें को लेकर चकबंदी निदेशक ने समय रहते कार्यवाही नहीं हुई तो वे अग्रिम कार्यवाही किए जाने की चेतावनी दिए है। उधर, पीड़ित पक्ष ने अविधिक आदेश 07 नवंबर 2023 को रिकाल करने तथा खतौनी में अनुपालन कराए जाने की मांग किया।