अजीब

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


अजीब है दुनियाँ, 

अजीब इसके सिलसले,

अजीब इसकी रीतियाँ

अजीब है इसके किस्से।

कोई रोता दुख में, 

कोई सुख में आँसू  गिराता है ।

कोई पानी को तरसता ,

कोई पानी में डूब जाता हैं ।

कोई रोता खुशियों के लिए,

कोई सुख की पनाह को तड़पता है ।

विश्वास करके रोया कोई,

कोई विश्वास के लिए रोता है ।


गरिमा राकेश 'गर्विता' 

कोटा,राजस्थान