कोहरे में,,कोहरे सी हो गई

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


जैसे, कुछ कहा भी नहीं 

बात हो गई ,

हम मिले ही कब थे

पर, मुलाकात हो गई !!


तेरे किस्से,,मेरे किस्से

कुछ इसके जैसा-उसके जैसा

खुद को भी लिखते-लिखते

कविता ये मन का एहसास हो गई !!


मानें भी तुमसे,,रूठे भी तुमसे 

कैसी ये बात हो गई ,

कोहरे में, "कोहरे सी" हो गई

धूप ये उजास हो गई !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश