कब मिलेंगे राम

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


तुझमें बसे हैं राम, मुझमें बसे हैं राम।

जन–जन के प्यारे प्रभु, मन में बसे हैं राम।।


क्यूं भटक रहा है मानव, तू इस जनम में।

जिसने भी खोजा मन से, उसको मिले हैं राम।।


शिरोधार्य करके आज्ञा, माता पिता गुरु की।

ऋषिमुनि में चेतना भर, सबमें रमेें हैं राम।।


लाँघी न सीमा रेखा, वो सत्य के चितेरे।

सत्कर्म भावना से, सत से ढलें हैं राम।।


पूजा करो हमारी, कब राम ने कहा है।

उत्तम चरित्र वालों– हिय में जमें हैं राम।।


करुणा दया क्षमा से,श्रीराम हैं अलंकृत।

जिसने भी इनको जाना उनके हुए हैं राम।।


अभिमानरूपी चोला ओढ़े हुए हैं लोग।

पूछे "सुमन" जहां से उन्हें कब मिलेंगे राम।


सुमंगला सुमन

मुम्बई, महाराष्ट्र