मालूम नहीं क्यों ऐसा होने लगा है

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


मालूम नहीं क्यों, ऐसा होने लगा है।

मिलने को तुमसे, दिल मचलने लगा है।।

बढ़ती जा रही है, दिल की बेक़रारी।

क्यों प्यार तुमसे, दिल करने लगा है।।

मालूम नहीं क्यों --------------------।।


देखा नहीं जबकि, अभी हमने तुमको।

आने लगे हैं फिर भी, तेरे ख्वाब हमको।।

क्या हाल होगा, जब हम तुम मिलेंगे।

ख्यालों में गुम, दिल यह रहने लगा है।।

मालूम नहीं क्यों --------------------।।


बनाता है तस्वीर तेरी, मेरा यह दिल।

करता है इंतजार तेरा, मेरा यह दिल।।

किस राह से तुम, मुझसे आवोगे मिलने।

फूलों से राह तेरी, दिल सजाने लगा है।।

मालूम नहीं क्यों --------------------।।


टूटे नहीं यह रिश्ता, उम्रभर अपना।

छूटे नहीं यह साथ, उम्रभर अपना।।

कभी कम नहीं हो, यह प्यार अपना।

ऐसी दुहा, दिल यह करने लगा है।।

मालूम नहीं क्यों --------------------।।


शिक्षक एवं साहित्यकार

गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद

तहसील एवं जिला - बारां (राजस्थान )