कब थमेगा गाजा युद्ध

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

गाजा युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिम एशिया में पहली बार अमेरिकी सैनिकों पर हुए हमले में तीन सैनिकों की मौत के बाद स्थिति और भयानक हो गई है। यह आशंका पहले ही व्यक्त की जा रही थी कि इजराइल-हमास युद्ध अगर फैलता है तो पूरी दुनिया के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। अमेरिका अपने आप को सुपर पावर मानता है लेकिन इस सुपर पावर से टकराने की हिम्मत ईरान समर्थित मिलशिया यानि इस्लामिक रजिस्टैंस समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। 

इस समूह ने जार्डन में अमेरिकी सैन्य बेस पर हमला किया है। यह ग्रुप सीरिया, इराक, लेबनान और लीबिया में सक्रिय है। यद्यपि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसका बदला लेने की कसम खाई है लेकिन इससे युद्ध का विस्तार होने का खतरा पैदा हो गया है। इस्लामिक रजिस्टैंस ने कहा है कि उसके लड़ाकों ने ईराक में अमेरिकी कब्जे वाली ताकतों का विरोध करने और गाजा में इजराइल ने नरसंहार के जवाब में अमेरिकी ठिकानों पर ड्रोन हमले शुरू कर दिए हैं। इस्लामिक समूह इजराइल-हमास युद्ध में अमेरिका की भी भागीदार मानता है। इसलिए वह सीधे तौर पर अमेरिका से भिड़ गया है।

 इस तरह युद्ध का नया मोर्चा खुल गया है। ईरान समर्थित हूती विद्रोही पहले ही लाल सागर में माल वाहक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। उधर इजराइल पर जनसंहार के आरोप में दक्षिण अफ्रीका की ओर से किए गए मुकदमे पर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का आदेश आ गया है। कोर्ट ने इजराइल से कहा है कि वह गाजा में फलिस्तीनियों को हो रहे किसी तरह के नुक्सान को तुरंत रोके। गाजा में हमास को खत्म करने के लिए इजराइल ने ताबड़तोड़ हमले किए हैं और उसने अस्पतालों को भी अपना निशाना बनाया है। इन हमलों में हजारों निर्दोष लोग मारे गये हैं। हजारों महिलाएं विधवा हो गई हैं और बच्चे अनाथ हो गये हैं। कोर्ट ने इजराइल को गाजा में मानवीय त्रासदी रोकने के लिए तुरंत और प्रभावी कदम उठाने को कहा है। 

इजराइल ने जनसंहार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि आम फिलस्तीनियों को जो नुक्सान पहुंच रहा है उसके लिए आतंकवादी समूह हमास जिम्मेदार है। हमास ने गाजा के अस्पतालों, शरणार्थी शिविरों और रिहायशी आबादी के क्षेत्रों में भूमिगत सुरंगें बिछा रखी हैं जिस वजह से आम लोगों की मौत को रोकना असंभव है। युद्ध के कारण 23 लाख आबादी वाले गाजा की 85 फीसदी आबादी शरणार्थी बन चुकी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के आदेश के बाद क्या कुछ बदलेगा। जनसंहार के आरोपों को लेकर अदालत को फैसला लेने में बहुत समय लगेगा। 

हो सकता है कि इजराइल कोर्ट के फैसले को पूरी तरह से नजरंदाज कर दे। अब इजराइल को तय करना है कि वह क्या कदम उठता है। दो महीने से ज्यादा समय हो चुका है। युद्ध विराम की कोशिशें जारी हैं लेकिन युद्ध रुकने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। इजराइल के प्रधानमंत्री घरेलू राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए युद्ध जारी रखे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि गाजा पट्टी पर मानवीय कॉरिडोर का निर्माण किया जाए और मानवीय आधार पर ही युद्ध बंद किया जाए। फिलस्तीनी लोगों को तुरंत और बिना किसी बाधा के मानवीय मदद पहुंचाई जाए। जंग एक करुर भट्ठी के सामन होती है। 

जिसमें इंसानों को भयानक यातना से गुजरना पड़ता है लेकिन इस की तपिश दूर-दूर तक होती है। इस युद्ध ने गाजा पट्टी को नरक बना दिया है। हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की त्रासदी भी कम नहीं है। अधिकतर देश चाहते हैं कि द्विराष्ट्र के सिद्धांत का पालन किया जाए और युद्ध को तुरंत रोका जाए। इस जंग में हत्या और विनाश का आलम ये है कि कोई ये नहीं मान सकता कि किसी तरह की शांति वापस आएगी। इस बार स्थिति भिन्न है। इस बात को तो फिलस्तीनी और इजराइल के साथ-साथ इस मुद्दे से जुड़ी शक्तियां भी मान चुकी हैं।

युद्ध विराम के बाद क्या होगा, इस बात को लेकर इजराइली सरकार अपने सबसे अहम सहयोगी अमेरिका से कूटनीतिक टकराव मोल ले रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गाजा पर अंधाधुंध बमबारी’ के लिए इजराइल की आलोचना की है। फिर भी उनका इजराइल को समर्थन जारी है। वो उसे हथियारों और विस्फोटकों से भरे विमान भेज रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम प्रस्ताव पर वीटो कर रहे हैं। इसके बदले में जो बाइडेन चाहते हैं कि इजराइल स्वतंत्र फिलस्तीनी राज्य को लेकर वार्ता करने की बात मान जाए। देखना यह है कि गाजा युद्ध कैसे और कब खत्म होगा।