ज्ञानवापी में एएसआई का सर्वे भरोसे लायक नहींः शहाबुद्दीन

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

बरेली : ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने विश्व हिन्दू परिषद द्वारा ज्ञानवापी पर किए गए दावे और मांग को गलत बताया है। कहा कि ज्ञानवापी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट अभी-अभी आई है, जिस पर कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि मुसलमान कानून का सम्मान करता है। बाबरी मस्जिद पर कोर्ट के फैसले के बाद यह दिखाया भी है। 

मौलाना ने कहा कि बाबरी मस्जिद पर 2003 में एएसआई ने सर्वे किया था। 575 पेज की रिपोर्ट में कहा गया था कि मस्जिद के नीचे मंदिर है। सर्वे रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया था। लिहाजा ज्ञानवापी मस्जिद पर एएसआई के सर्वे पर आंख बंद कर भरोसा नहीं कर सकते हैं। हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे। केवल सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जश्न मनाना और बयानबाजी करना कोर्ट की तौहीन है। 

विहिप पदाधिकारी उल्टे-सीधे बयान देकर समाज को तोड़ने का प्रयास न करें। गौरतलब है कि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। जैन ने संवाददाताओं को बताया कि एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां गुरुवार देर शाम अदालत द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गईं।

 उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी। जैन ने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। उन्होंने दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष पाए गए हैं।