नयी धरा और नया गगन है, खिला-खिला मेरा उपवन है।
शीत लहर चहुंओर झूमतीं,मन गर्म और तन चंदन है।
ओस की बूंदें ऐसे हर्षाती,आज प्रकृति उनके बस में है,
बलिहारी जाऊं शरद ऋतु पर, तुझसे हर्षित ये तन-मन है।।
नव वर्ष का अब वसुंधरा पर ऐसा शुभ आगमन हो।
शुद्ध विचारों का अंतर्मन में ऐसा शुभ आचमन हो।
सुख-समृद्धि, और शांति चहुंओर, ऐसा शोर मचाए,
सुधा का बादल बरसे धरा पर सबका उसे नमन हो।।
वरिष्ठ साहित्यकार ----
डॉ. अनीता चौधरी (मथुरा से)