वासिंधु छन्द

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


परम अनुभूति क्षण है, राम आये हैं।

महाभावी हुए जन, भक्ति पाये   हैं।


सुनें ध्यानानुरागी,  आर्ष वाणी  को-

परमपद जीव  हित में, जैैत्र लाये हैं।


अहं हो जब उरग को, काग श्री वाचें,

कथा श्री राम की तब, भक्ति लाये  हैं।


विरल तन  कौन है जग, में, स्वामि  कह दें

यह, महत्तम  है मनुष तन, ही,मोक्ष भाये हैं।


महामन दु:ख है क्या, बोध  दें मुझ को,

ना हो संवेदना ये,  दुख बढ़ाये   है।


मीरा भारती।