लिखूं तो कुछ इस तरह कि..

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


लिखूं तो कुछ इस तरह कि

घुल जाएं सभी रंग 

इंद्रधनुषों के हवाओं में ,

छूट जाए बस एक कहीं कोई 

बादलों की ओट में ,

मानों अटखेलियां कर रहा हो 

कविताओ से !!

लिखूं तो कुछ इस तरह कि

दरकती हुई दीवारों में भी

फूटनें लगें कोंपलें..

उग आएं लताएं..

चींटीयां बना लें‌ अपने घर

और..

पनपनें लगें नई सभ्यताएं !!

लिखूं तो कुछ इस तरह कि

मिल जाए कुछ "जगह"

मन की संवेदनाओं को भी

हर बार

शब्दों के बीच की रिक्तता में !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश