कवि गोष्ठी का आयोजन

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

आजमगढ़ । आज शाम गीत और गजल से सराबोर रही। उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सभा आजमगढ़ शैदा साहित्य मंडल आजमगढ़ प्रगति प्रवाह संस्था आजमगढ़ तथा बज़्म-ए-अंदाज-ए-बयां  के संयुक्त तत्वावधान में सरस्वती शिशु मंदिर नगर पालिका आजमगढ़ के सभागार में एक कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। उक्त कवि गोष्ठी के मुख्य अतिथि पानी की पाठशाला के सूत्रधार श्री पवन कुमार सिंह जी थे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रमुख समाजसेवी एवं साहित्यकार श्री जन्मेजय पाठक जीने किया। उक्त अवसर पर  संतोष पांडे ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत किया तत्पश्चात मऊ जनपद से पधारे कवि रोहिताश्व रोहित ने कौन अकेला है जो सोना बन  तपाता जिंदगी सुन कर किसानों की दशा का वर्णन किया। राजकुमार आशीर्वाद ने ए दोस्त क्यों जाते हो परदेस सुन कर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। आदित्य आदमी ने विश्व हिंदी दिवस पर होठों पर मेरे मधुर मुस्कान है हिंदी सुनायी।

 इसके पश्चात घनश्याम यादव ने चिट्ठी में दिल भेज रहा हूं सुनो प्रिया तुम पढ़ लेना भाव की जो मूर्ति बने वह पढ़ते पढ़ते गढ़ लेना। सुन कर लोगों को भाव विभोर कर दिया। श्रीमती इंदू श्रीवास्तव ने सुनो लड़कियों अपने पिता की एक तस्वीर हमेशा अपने पास रखना जैसी मार्मिक और भावुक रचना पढ़कर सभी की आंखों को नम कर दिया। विद्या भारती जी ने भूल से दिल किसी का दुखाया न कीजिए, जलता ये दिल का दीपक बुझाए न कीजिए सुना कर सभा में ताज़गी ला दिया। 

दिनेश श्रीवास्तव ने हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए मैं बाप हूं जैसी कविता का पाठ कर अतः मन को झकझोर दिया। स्नेहलता राय ने सोनवा पसरी गैल सगरो सिवनवा चइत मसवा सुनाया। हास्य व्यंग के हस्ताक्षर शैलेंद्र मोहन राय अटपट जी ने सोन चिरई उड़त असमान वा जिया परेशान बा ना सुन कर लोगों को हंसा हंसा लोटपोट कर दिया।

 राजेश अनंत ने अपनी रचना सामने कितनी हो मुश्किल लड़ना पड़ता है सुनाया।  राष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त शायरा डॉक्टर आशा सिंह अपनी ग़ज़ल उसूलों के किराए पर रहाईस कर नहीं पाती, बनावट की दिखावे की सताइश कर नहीं पाती। सुना करके कवि गोष्ठी को एक नई ऊंचाई प्रदान किया। संतोष पांडे जी ने राम के आगमन की रचना प्रस्तुत की सीय हिय अयन पंकज नयन, मुनि मन सुखम कोमल वचन। सुना कर गोष्ठी को भक्ति मय कर दिया। 

तत्पश्चात सेवानिवृत्ति उप जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामबचन यादव जी ने अपनी रचना ममता विह्वल वृद्धाश्रम में बेटा ही रखा अनाथाश्रम में, सो जाती भूखे प्यासे तन चिथड़ो से झांके सिसकी रुहे जाने कितनी सुना कर वर्तमान परिस्थितियों पर सोचने को मजबूर कर दिया।

 कार्यक्रम के संचालक विजयेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव करुण ने अपनी रचना मन के सपने मन में रहकर मन में ही अकुलाते, आस लिए हम इन सपनों से गाते और मुस्कुराते। सुना कवि गोष्ठी को बहुत ही मोहक और मधुर विराम दिया। तत्पश्चात मुख्य वक्ता तथा अध्यक्ष उद्बोधन की उपरांत कवि गोष्ठी अगले सूचना तक के लिए स्थगित कर दी गई।