गीत - रात

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

चाँद के खड्डे पर है रात

मन के अड्डे पर है रात

वक्त के छज्जे पर है रात

चप्पे चप्पे पर है रात..

सूने हिस्से पर है रात

भारी किस्से पर है रात

बेबस पन्ने पर है रात

चप्पे चप्पे पर है रात..

अन्धे रस्ते पर है रात

गाड़ी-दस्ते पर है रात

सदमा लगने पर है रात

चप्पे चप्पे पर है रात..

नूर के ढलने पर है रात

रूह के लुटने पर है रात

आँसू चुभने पर है रात

चप्पे चप्पे पर है रात..

.......

अवतार सिंह अक्षरजीवी

जयपुर