जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद तीन सौ सत्तर के खात्मे के लिए प्रतापगढ़ के अधिवक्ताओं ने भी भरी थी हुंकार

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

रूरल बार एसोशिएसन के प्रतिनिधिमण्डल ने जम्मू में निकाला था शांति मार्च

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अधिवक्ताओं ने जतायी है खुशी

लालगंज, प्रतापगढ़।  जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद तीन सौ सत्तर के खात्मे पर सर्वोच्च न्यायालय की मुहर लगने पर वकीलों में खुशी देखी जा रही है। संविधान के अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को हटाये जाने में हुए संघर्ष में प्रतापगढ़ के वकीलों ने भी अहम भूमिका निभायी थी। संविधान के अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को समाप्त किये जाने में जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता मर्सरत आलम की तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार द्वारा रिहाई को लेकर आल इण्डिया रूरल बार एसोशिएसन ने यहां से लेकर जम्मू तक हुंकार भरी थी। 

सन् 2015 में आल इण्डिया रूरल बार एसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ला के नेतृत्व में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमण्डल लखनऊ से जम्मू तक शांति मार्च के लिए वहां पहुंचा था। रूरल बार के प्रतिनिधिमण्डल ने मसर्रत आलम की रिहाई वापस लेने के साथ अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को समाप्त किये जाने की मंाग को लेकर जम्मू में शांति मार्च निकाला और विधानसभा के सामने विरोध प्रदर्शन भी किया। 

दो दिनों तक जम्मू में विरोध प्रदर्शन में राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल के साथ लालगंज संयुक्त अधिवक्ता संघ के मौजूदा अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश तथा वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर द्विवेदी, अधिवक्ता राजेश तिवारी, अधिवक्ता शिवाकांत शुक्ला, अधिवक्ता सत्येन्द्र श्रीवास्तव तथा शैलेन्द्र शुक्ल भी विरेाध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। तब जम्मू में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने यहां से गये अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमण्डल को समझाने बुझाने का भी प्रयास किया था। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल बताते हैं कि जम्मू में राजधानी के सामने विरोध प्रदर्शन को लेकर वहां के पुलिस प्रशासन से हुई नोंकझोंक के दौरान प्रतिनिधिमण्डल के अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी का भी माहौल बन गया था। वहीं एसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल की तरफ से लालगंज सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के खिलाफ अलगाववादी नेता मसर्रत की रिहाई को आतंकवाद के बढ़ावा के आरोप को लेकर परिवाद भी दाखिल किया गया था।

 तत्कालीन सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन लालगंज के तत्कालीन सिविल जज इंद्रजीत सिंह ने परिवाद की सुनवाई करते हुए इस मुकदमें को सीजीएम अदालत में ट्रांसफर कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट के संविधान के अनुच्छेद तीन सौ सत्तर पर आये फैसले को लेकर रूरल बार एसोशिएसन अपने मिशन में संघर्ष की एक महत्वपूर्ण कड़ी की सफलता करार दे रहा है।

 बुधवार को यहां अधिवक्ताओं की बैठक में रूरल बार एसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ला, महासचिव अनिल त्रिपाठी महेश, विकास मिश्र, शिव नारायण शुक्ला, विपिन शुक्ला, सुमित त्रिपाठी, दीपेन्द्र तिवारी, सिंटू मिश्र, शैलेन्द्र सिंह, प्रमोद सिंह आदि अधिवक्ताओं ने अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को समाप्त किये जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भारत के संघीय ढ़ांचे में एक बड़ा महत्वपूर्ण संवैधानिक मार्गदर्शन कहा है।