नियति का सम्मान करो

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


नियति के न्याय का सम्मान करो

जो हो रहा, उसको स्वीकार करो

नियति की नजरें सब देख रही है

धूल झोंकने की दुस्साहस न करो।


नियति बलवान है, गुमान न करो

और वर्तमान से अभिमान न करो

जो आज है वह तो, बदल जाएगा

अपनी सहोरत का गुणगान न करो।


अच्छे दिन आएंगे ये चाह न करो

जो होगा  उसकी, परवाह न करो

जो नियति चाहेगी , वही तो होगा

अभी से इतनी उछल-कुद न करो।


जो चाहते हैं उसकी आस न करो

नियति के न्याय, पर विश्वास करो

कर्म कर तु,अच्छे तेरे, भाग्य बनेगे

किस्मत लेखा पर,अहंकार न करो।


अशोक पटेल "आशु"

मेघा,धमतरी (छ ग)

९८२७८७४५७८