मध्यप्रदेश के खजाने पर आर्थिक संकट किस लिए...!

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

मध्यप्रदेश के खजाने पर आर्थिक संकट क्यों जब रुपये लुटा रहे थे सौगातों में और कहते थे, रुपयों की कोई कमी नहीं, जबकि कर्जा तो उस अंतिम वक्त तक भी ले रही थी सरकार। वर्तमान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने आर्थिक चुनौती बहुत बड़ी है,,,शायद यही कारण रहा कि आज इतने सक्रिय और लाड़ली बहनों के भैया बेटियों के मामा होने पर भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सका, क्यों पूर्व कार्यकाल में इतनी घोषणाएं हुई है। 

जिससे कर्ज का संकट काफी बढ़ गया है, वहीं चुनाव जीतने की लालच में कई विभागों में ताबड़तोड़ वेतन वृद्धि  करके सबसे बड़ी समस्या का जन्म हो गया है परिणामस्वरूप नये मुख्यमंत्री को 38 विभागों की विभिन्न योजनाओं पर लगाम लगाना पड़ी है। जिससे सरकार, खजाने का संतुलन बनाकर रख सके। इन सब योजनाओं में लाड़ली योजना सब पर भारी है। 

इससे हर महीने सरकार पर हजारों करोड़ रुपयों के खर्चे का बोझ पड़ रहा है।

फिजुलखर्ची में  कोई किफायत नहीं बरती, आसन्न चुनाव के होने से खर्चों पर लगाम नहीं रखी गयी, पिछले कुछ वर्षों में हुए सरकारी विज्ञापनों की तुलना में पिछले एक वर्ष में विज्ञापनों में तेजी से हुई वृद्धि का आंकलन कीजिए, समझ लो, खजाना खाली तो होना ही था। सौगातों में अनावश्यक खर्चों की आसन्न संकट पैदा होने के अंदेशे को भूल गये। 

आंकलन के चश्मों पर भी मोतियाबिंद चढ़ा था। ऐसी अनगिनत गलतियां भरी पड़ी हैं। किफायतदारी पूछों तो अनावश्यक रूप से कर्मचारियों व पेंशनर्स को देने में बरती गई और उनको देने में अनावश्यक विलंब किया गया। दो राज्यों की सहमति का उवॉच बाचा गया जबकि दूसरे राज्यों में ऐसा विलंब नहीं हुआ। इस आर्थिक संकट का भी उच्चतम आंकलन होना चाहिए कि नहीं और इसके जिम्मेदारों को कैसे बख़्श दें।

इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि क्या हमेशा

कर्ज लेकर ही राज्य की कार्यव्यवस्था संभालेंगे। अन्य राज्यों में जहां चुनाव हुए वहां तो ऐसा नहीं हुआ। राज्य में जो कार्य पिछले समय हुए, उसके खर्चों का ऑडिट-आंकलन भी तो होना चाहिए।

- मदन वर्मा " माणिक "

  इंदौर , मध्यप्रदेश