नारी-नारायणी

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


माँ, भार्या,बेटी,बहु,

मृदु हृदय, सुहासिनी, 

प्रवृति शीतल शशि,

हे नारी!हर रूप में तू नारायणी।


सहनशीलता असीम,

सुख दुःख में सहगामिनी,

आत्मसमान हेतु कृपाण उठाये,

तू अत्यंत स्वाभिमाननी।


पूज्यनीय तेरा प्रति रूप ,

माँ के रूप मेंअदम्य शक्तिशालिनी,

बच्चों के लिए कुछ भी कर जाए,

तू जगदम्बा,तू ही जगत तारिणी।


सीप के लिए स्वातिबूँद सरीखी,

परिवार की आधारिणी,

सबकी खुशियों से स्वयं आंनदित ,

हे नारी! तू मनोहारिणी।


तू विश्व रचियता, कवि कल्पना,

वेद-पुराण की तू ब्राह्मणी।

कर्तव्य पथ पर सदा चलती,

हे नारी! तू सदाचारिणी।


डॉ. रीमा सिन्हा (लखनऊ)