जिंदगी से पूछिए

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


मत पूछो कि कैसे गुजारे 'वो पल'

कुछ न कहेंगे, आंखों से पूछिए !!


यूं आते-जाते भी दूर से देखा किया

नज़रें बेबस ही रहीं, रातों से पूछिए !!


कैसे मैं कुछ कहूं, समझ आता नहीं

चुप क्यों रही, उन बातों से पूछिए !!


जीते रहे यूं ही, बगैर कुछ कहे-सुने 

पर, किस तरह जिए, सांसों से पूछिए !!


कभी आंखों ही देखा सच नहीं होता

ऐसे में जरा, उन जज़्बातों से पूछिए !!


जिंदगी! बात बस जरा इतनी ही तो है

अगर समझ न आए, खुद से पूछिए !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश