जिला पंचायत अध्यक्ष ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का किया शुभारंभ

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

फतेहपुर। मिलेट्स योजनार्न्तगत जनपद स्तरीय श्री अन्न (मिलेट्स) कैरीकुलम अध्यापकों प्रशिक्षण एवं मिलेट्स रेसीपी प्रतियोगिता का आयोजन प्रेक्षागृह में मुख्य अतिथि मा0 जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अभय प्रताप सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । 

मिलेट्स रेसीपी प्रतियोगिता में जनपद के 07 होटल/रेस्टोरेन्टों के द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें हाइड आउट रेस्टोरेन्ट अमित भोजनालय, मुखलाल स्वीट हाउस, अजय स्वीट्स एण्ड चीज लेगन बेकर्स, माया श्याम रेस्टोरेन्ट, द्विवेदी रेस्टोरेन्ट एवं गोमती स्वीट्स रेस्टोरेन्ट एण्ड ब्रेकर्स के कुक के द्वारा मिलेट्स रेसीपी को तैयार कर प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया गया। 

मिलेट्स रेसीपी प्रतियोगिता में निर्णायक मण्डल द्वारा मिलेट्स उत्पादों की रेसीपी तैयार किये जाने में उत्कृष्ट खाद्य उत्पादों में प्रथम स्थान अजय स्वीट्स एण्ड लेमन चीज बेकर्स फतेहपुर, द्वितीय स्थान- माया श्याम रेस्टोरेन्ट एवं तृतीय स्थान- हाइड आउट स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेन्ट को घोषित कर प्रसस्ति पत्र देकर एवं अन्य प्रतिभागी रेस्टोरेन्ट को भी सान्त्वना पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र/ प्रसस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। 

मुख्य अतिथि मा0 जिला पंचायत अध्यक्ष फतेहपुर, श्री अभय प्रताप सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि मिलेट्स के उपयोग एवं उसके लाभ के  साथ भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न लाभार्थी परख योजनाएँ यथा- प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन योजना, पी०एम०-किसान योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना आदि योजनाओं की विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की ।

उप कृषि निदेशक, फतेहपुर श्री राममिलन सिंह परिहार ने कार्यक्रम संचालन करते हुए कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण एवं उपस्थित समस्त अधिकारियों एवं अतिथियों का स्वागत एवं माल्यार्पण कर शासन द्वारा संचालित लाभार्थीपरख योजनाओं की जानकारी, रबी फसलों की नई प्रजातियों को बोये जाने एवं अधिक उत्पादन प्राप्त कर अधिक आय को प्राप्त किये जाने, पी०एम०-किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत भूलेख अंकन, ई-केवाईसी व कृषकों को अपना खाते को आधार से लिंक (एन.पी.सी.आई) कराये जाने एवं अन्य विभागीय योजनाएँ यथा- पी०एम०कुसुम, कृषि यंत्रीकरण योजना, फसल बीमा योजना एवं मिलेट्स बीजों को बोये जाने एवं उसके उपयोग को बढावा दिये जाने व कम लागत में अधिक आय प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में विस्तार पूर्वक जानकारी कृषकों को उपलब्ध करायी गयी।

डॉ० जितेन्द्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा समय-समय पर कृषकों के मृदा परीक्षण कराने, गोबर की खाद का प्रयोग करने, जल संचयन गेहूँ फसल के उपरान्त भूमि की जीवांश मात्रा को बढ़ाये जाने हेतु ऊँचा की बुआई करने एवं मृदा प्रबन्धन एवं जैविक खाद के अधिक प्रयोग की जानकारी तथा कृषक वैज्ञानिक संवाद के माध्यम से अपने व कृषको के अनुभवों को सीधे कृषक / वैज्ञानिक संवाद के माध्यम से जारी कृषकों के मध्य साझा की गयी। कृषकों को मिलेट्स फसलों की मुख्य फसल-ज्वार, बाजरा, रागी व सह फसल सावा, कोदो, काकुन चेना, कुटकी आदि बीजों को बोये जाने के साथ दलहनी व तिलहनी फसलों को बोये जाने, जैविक एवं हरी खाद प्रयोग कर खेती किये जाने हेतु प्रेरित किया गया। 

डॉ० जगदीश किशोर, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा फसल सुरक्षा विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी कृषकों को उपलब्ध करायी गयी एवं रबी फसलों में लगने वाले कीटों की रोकथाम हेतु नीम की निबीली एवं पत्तियों को मृदा में मिलाने हेतु एवं जंगली एवं आवार जानवरों से फसलों को बचाने हेतु गोबर के घोल को खेत की चारों ओर की मेड में छिडकाव करने की अपील की गयी, जिससे उसकी दुर्गन्ध से आवारा जानवरों से फसल नुकसान से कृषक अपनी फसल को बचा सके। इसके साथ ही फसलों में संतुलित बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग करने भी अपील की गयी।

डॉ० संजय पाण्डेय, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा कृषकों से कृषि कार्य के साथ साथ अधिक से अधिक पशुपालन कर दुग्ध उत्पादन कर अधिक आय को प्राप्त करने के साथ देसी गाय की ग्रीड में पशु चिकित्सालयों में उपलब्ध साहीवाल गाय के ग्रीड के सीमन को डलवाकर व दो वर्गीय सीमन (कृतिम गर्भाधान कराकर) अधिक दुग्ध उत्पादन कर अपनी आय को बढ़ाने हेतु प्रेरित किया गया।

डॉ० साधना वैश्य, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा द्वारा मोटे अनाज की बुआई, विपणन एवं उसके लाभ आदि के बारे कृषकों को विस्तार से बताया गया। चिया, किनवा आदि मोटे अनाज को कम लागत पर कसर भूमि पर भी बोया जा सकता है, इसके साथ ही कृषको को मिलेटस (मोटे अनाज) यथा-ज्वार, बाजरा, रागी कोदो, सांवा चिया, किनवा आदि को बोने तथा उसके लाभ के बारे में बताया गया। 

ज्वार फसल के लाभ के बारे में यह बताया गया कि ज्वार मुख्य शुष्क क्षेत्रों का पारंपरिक मुख्य भोजन है। यह कीट एवं रोग प्रतिरोधी फसल है, ज्वार में प्रोटीन, विटामिन, रेशा, थायमिन, राइबोपलेदिन, फोलिक अम्ल, पोटैशियम आदि लाभाकारी गुण प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। कोदो बारे में बताया गया कि इस फसल में सबसे अधिक रेशे होते है, इसमें फाइबर, प्रोटीन, वसा की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह जल्दी पचने में सहायक होता है।

 सांवा फसल में प्रोटीन एवं फाइवर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इस अनाज में फैटी लिनोलिक, पाल्मीटिक व ओलिक एसिड पाये जाते है। आजकल मधुमेह रोग के देखते हुए सांवा एक आदर्श आहार बन सकता है। बाजरा शुष्क एवं उष्ण क्षेत्र में न्यूनतम उपजाऊ भूमि में भी पैदा होने वाली महत्वपूर्ण खाद्य फसल है, इसमें ऐसे जैव रसायन पाये जाते है, जो कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में सक्षम है।

 ऐसे अनेक मिलेट्स फसलों के गुणकारी लाभों के बारे में कृषकों को अवगत कराया गया।

डॉ० हरिश्चन्द्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक चन्द्रशेषर आजाद कृषि प्रौधौगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा द्वारा मोटे अनाज की बुआई करने एवं कम लागत पर अधिक उत्पादन हेतु कृषकों को प्रेरित किया गया। इसके साथ ही कृषकों को मिलेट्स (मोटे अनाज) को बोने तथा उसके लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके साथ ही मिलेट्स फसलों के गुणकारी लाभों के बारे में कृषको को अवगत कराया गया।

मिलेट्स योजनांतर्गत जनपद स्तरीय श्रीअन्न(मिलेट्स) कैरीकुलम अध्यापकों प्रशिक्षण एवं गिलेट्स रेसीपी प्रतियोगिता एवं प्रशिक्षण हेतु अध्यापक, रसोइया, होटल/रेस्टोरेन्टों के कुक/शेफ सहित भारी संख्या में कृषकगण उपस्थित रहे।

उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, भूमि संरक्षण अधिकारी (रा०जला), भूमि संरक्षण अधिकारी, ई०ई०सी०, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी, सदर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, श्री देवेन्द्र पाल सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य, श्रीमती रश्मि श्रीवास्तव, प्रवक्ता, गृह विज्ञान, राजकीय बालिका इण्टर कालेज, फतेहपुर, डॉ० जितेन्द्र सिंह, डॉ०एस०के० पाण्डेय डॉ०साधना वैश्य, डॉ० जगदीश किशोर, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, थरियांव, डॉ० हरिश्चन्द्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक, चन्द्रशेषर आजाद कृषि प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर सहित मिलेट्स कैरीकुलम अध्यापक प्रशिक्षण हेतु आमंत्रित अध्यापकगण सहित अन्य कृषकगण द्वारा प्रतिभाग किया गया।