तेरे बिन कुछ भी नहीं।

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


जब सब था तो कोई गम नहीं था

पर अब तू नहीं तो

तेरे बिन कुछ भी नहीं है

सुना है हमारा घरौंदा

सुनी है राह सारी

कुछ भी नहीं जब तु ही नहीं,

सफर में साथ देने का वादा किया था तूने

पर राही हमें मझधार में अकेला तू छोड़ गया,

ज़िन्दगी की हर एक राह में

बहुत सी मुश्किलों में घिरे हुए हैं थे हम

पर एक तेरा साथ नहीं रहा तो

तेरे बिन कुछ भी नहीं है ।

जीवन कट रहा है

सफर चल रहा है

मंजिलों की तलाश जारी है हमराही 

तेरे बिना जिंदगी अधुरी हो गई

तु क्या है अब मुझे मालूम पड़ा

तेरी ऐहिमियत के सजदे अब हम कर रहे हैं 

जब करना था इकरार तो हम चुप रहे,

जब सब था तो कोई गम नहीं था 

पर अब तूं नहीं तो तेरे बिन कुछ भी नहीं है।।


प्रेषक लेखक - हरिहर सिंह चौहान 

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001

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