मत्ता वर्णिक छंद

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


 सत्यान्वेषी, जनमत राचें, 

 संवादों से, गण-सुधि जाँचें।

 प्यारा देशी,हित मन  धारें,

 जाती सोचें,  प्रतिपल वारें।


चट्टानी है, तरुणिम  प्रज्ञा।

जागें, बाँटें, सहज  उपज्ञा। 

वैषम्यों  को उमग भगाते-

आशीर्वादी, सरल समज्ञा। 


 उपज्ञा = उपार्जित ज्ञान। 

 समज्ञा= समता का ज्ञान। 


  मीरा भारती।