और, वह लौट आया

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

और एक दिन अचानक,,, 

वह लौट आया 'मेरे पन्नों से'

मेरे शब्दों में,, मुझमें,,मेरी कविताओं में,,, 

बिल्कुल ठीक वैसे ही

जैसे कि उसको होना चाहिए था ,

बस, कुछ लकीरें ज्यादा थी

चिंताओं की ,,,

घिरे हुए था सामाजिक व्यस्तताओं में,,,

कुछ सपने अधिक थे

जिनको देखना चाहता था

समय की परिधि में ही,,,

पहुंचना चाहता था

उन न पहुंचे हुए दिनों में भी ,,,

बाकी थे कुछ स्पर्श

अनछुए से ,

महसूस करना चाहता था उनको

बिल्कुल ठीक वैसे ही

जैसे कि उसने सोचा था

बस एक बार !!

हां, वह लौट आया

कुछ मेरी तरह,, कुछ अपनी तरह !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश