हादसे कैसे कैसे

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

कि‍सी स्‍थान के लि‍ए नेता चाहे सत्ता पक्ष का हो या वि‍पक्ष का कि‍सी दुर्घटना से कम नहीं होता। वैसे भी आजकल राजनीति‍ और आदमी का एक-दूसरे में आत्‍मसात होना दुर्घटना से कम नहीं।

     नेता नामक दुर्घटना के साथ कि‍सी अन्‍य नेता का टकराना निश्‍चय ही दुर्घटना होती, कि‍न्तु कि‍सी अदने से बस चालक का हमारे शहर जैसे अति‍ प्रगति‍शील औद्योगि‍क नगरी के संकीर्ण सड़क के कि‍नारे रोकी गयी नेतायी गाड़ी के पीछे खड़े नेता को ठोकर मार देना नि‍श्‍चय ही बस चालक के जीवन के लि‍ए अजीबोगरीब दुखद दुर्घटना है। नेताजी का गंभीर रूप से घायल होना राजनीति‍क दुर्घटना हुई। इस सारी दुर्घटना की जि‍म्‍मेदारी वे सत्ता पक्ष पर थोपेंगे। कारण स्‍पष्‍ट है कि‍ जो भी शासकीय संस्‍थाएं हैं, वे सत्ता पक्ष की ही तो कहलाएंगी, साथ ही उसका अदना सा बस चालक भी।

     इस राजनीति‍क दुर्घटना के बाद दुर्घटना यह कि‍ चालक की नि‍र्ममता से पक्ष, वि‍पक्ष तथा अपक्ष (जो कि‍सी भी पार्टी के नहीं हैं – अपक्ष) द्वारा पि‍टाई, बाद में थाने का घेराव यानी की दुर्घटना यदि‍ एक हो तो तमाम संभावि‍त दुर्घटनाओं का साम्‍य जुड़ जाता है उसके साथ। 

यह तो हुई एक जान-माने नेता के साथ बस चालक की दुर्घटना जि‍ससे बेचारे चालक का ही अधि‍क नुकसान हुआ कहना होगा, क्‍योंकि‍ नेताजी पैरों की हड्डि‍यां तुड़वाकर सहानुभूति‍ के बल पर और अधि‍क वोट बटोरेंगे। बाद में पूछना ही क्‍या? आम आदमी के जीवन की त्रासद दुर्घटना यह कि‍ वह ऐसी संवेदनाओं से टकराकर, वोट देकर पांच वर्ष के लि‍ए बुरी तरह घायल हो जाता है।

     इसी संदर्भ में एक वरि‍ष्‍ठ‍ पत्रकार से मैंने पूछा – ‘’आम आदमी जब दुर्घटनाओं में मरते हैं तो आप चंद सतरें छापते हैं और उस आदमी का नाम तक नहीं छापते ऐसा क्‍यों?’’

     उन्‍होंने कहा- ‘’अजी! हम तो शेक्‍सपीयर का यह कथन मानते हैं, नाम में क्‍या रखा है, जि‍से हम गुलाब कहते हैं वह कि‍सी और नाम से भी वैसी ही सुगंध देगा’’

     मैंने तुरंत सवाल दागा—’’तो भई जब कोई नेता या सेठ घायल हो जाता है तो आप दुर्घटना वि‍शेषांक कैसे छाप देते हैं?’’

     उनका कथन था- ‘’पता नहीं आप कैसे इक्‍कीसवीं सदी में हैं – इतना भी नहीं समझते। भाई साहब! क्‍या जाने कब कौन नेता, कोई सेठ इस स्‍थान, प्रदेश, देश का शक्‍ति‍शाली पद पा जाए कुछ से कुछ हो जाए, कौन जानता है। इसी संदर्भ के लि‍ए ही तो नेपोलि‍यन ने कहा – असंभव नाम की चीज ही नहीं है।’’ मैं उनकी सूक्‍ति‍यां अधि‍क न झेल सका, लौट आया।                                  

     बस, ट्रेन, ट्रक, साइकि‍ल, स्‍कूटर आदि‍ की दुर्घटनाओं के लि‍ये छोटा मोटा बक्‍सा छपता है जबकि‍ वि‍मान दुर्घटना होने पर वि‍शेष समाचार। कारण स्‍पष्‍ट है कि‍ वि‍मान का कि‍राया अन्‍य वाहनों की अपेक्षा अधि‍क है। जि‍तना व्‍यय करेंगे उतना ही प्रचार पायेंगे - यही नीति‍ दुर्घटनाओं के संदर्भ में लागू होती है।

     कई प्रकार की दुर्घटनाएं होती हैं – कि‍सी बड़े साहि‍त्‍य‍कार की कि‍सी बड़े साहि‍त्‍यकार द्वारा खि‍चाई कर दी जाए एक साहि‍त्‍यि‍क दुर्घटना हुई।  बीच सड़क में सांडों की तरह नगर के दो कुप्रसि‍द्ध गुंडे भि‍ड़ पड़े और जनता इस मनोरंजन कर मुक्‍त युद्ध को देखें तो यह असमाजि‍क दुर्घटना है। शहर के बड़े नेता का बड़े से होटल में बड़े क्‍लास की कालगर्ल से प्रेमरत स्‍थि‍ति‍ में रंगे हाथों पकड़ना, फि‍र प्रेस बयान देना राजनीति‍क दुर्घटना होगी।

     अब सि‍लसि‍ले बार मानव जीवन की दुर्घटनाओं पर गौर करें। मेरा तो आशय (सदाशय ही) यह है कि‍ व्‍यक्‍ति‍ का जन्‍म लेना संसार के लि‍ए कि‍सी दुर्घटना से कम नहीं होता और --- उसके बाद तो बस ----कि‍सी हाई एप्रोच वाले नि‍र्माता नि‍देशक के सीरि‍यल की तरह जीवन के दूरदर्शन पर दुर्घटना श्रृंखला दि‍खाई जाने लगती है।

     कि‍सी अवि‍वाहि‍ता से टकरायें तो जीवन की सबसे बड़ी दुर्घटना की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यदि‍ वह इस दुर्घटना को सीरि‍यसली न ले और समय व्‍यतीत करने के लि‍ये कि‍या गया कार्य + प्राप्‍त मनोरंजन = पैसों की बचत मान लें तो आपके भाग्‍य में एक भयानक दुर्घटना टल गई।

     अगर आपका कोई मि‍त्र नया नया कवि‍ बना है और आप केवल उससे औपचारि‍क हैं, अनौपचारि‍क नहीं---तो, आप की प्रेमि‍का की मांगों (सिदूर वाली मांग नहीं) की लि‍स्‍ट लंबी और आपकी तनख्‍वाह कम---तो, पत्‍नी इस महंगाई के युग में टी.वी. के बाद भी हर हफ्ते दो फि‍ल्‍में देखने की फरमाईश करे---तो, ऑफि‍स की सहकर्मि‍णी मि‍स लोलि‍ता के साथ आपको कि‍सी रेस्‍तरां में मुन्‍ने की मां (मतलब आपकी पत्‍नी) देख ले---- तो, इस तरह "तो" की लि‍स्‍ट लंबी है जो आपके जीवन में अनेकानेक दुर्घटनाओं की सीरीज या एपीसोड्स बनाती है।

     औद्योगि‍क क्षेत्र की दुर्घटनाओं में सि‍र्फ आंकड़े छपते हैं। जैसे- वह व्‍यक्‍ति‍ जि‍सका नाम मालूम नहीं (मालूम करने की पत्रकार ने कोशि‍श ही नहीं की) पच्‍चीस मीटर ऊंचाई से गि‍रकर मर गया या फलां संयंत्र में अमुक मशीन ऊपर गि‍र पड़ने से अज्ञात व्‍यक्‍ति‍ की मृत्‍यु हो गई। यह आम आदमी के लि‍ए अखबारी लहजा है, जबकि‍ यही दुर्घटना कि‍सी सक्रि‍य राजनीति‍ज्ञ के साथ हो जाए तो अधि‍कतम अखबार दुर्घटना वि‍शेषांक बन जाते हैं।

     पत्‍नी द्वारा गुस्‍से में पति‍ की बेलन से पि‍टाई, फि‍र खि‍सि‍याये पति‍ द्वारा बच्‍चों की बेवजह धुलाई पारि‍वारि‍क दुर्घटना होगी। छोटे बाबू द्वारा रि‍श्‍वत में बड़ी रकम हासि‍ल कर बड़े बाबू तथा बॉस को हि‍स्‍सा दि‍ये बि‍ना हजम कर जाना और पोल खुलने पर वि‍भागीय जांच होना, नि‍लंबि‍त कि‍या जाना शासकीय दुर्घटना होगी।

     इस तरह हम देखते हैं कि‍ यह सि‍लसि‍ला काफी लंबा है। कहते जाएं सुनते जाएं तो चलता ही रहे। दुर्घटनाएं अनंत इनकी कथा अनंता।

डॉ0 टी महादेव राव

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

9394290204