लोगों को कंस के अत्याचारों से बचाने के लिए लिया था कृष्ण ने जन्म

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

ब्यूरो , सीतापुर। जनपद सीतापुर के विकास खंड रामपुर मथुरा की ग्राम पंचायत पारा रमनगरा में पारा कुटी परदिव्यांग सेवा संस्थान पारा रमनगरा एवं मां चण्डी देवी सेवा समिति रमनगरा शिव शक्ति युवा मोर्चा समिति रमनगरा एवं समस्त ग्रामवासी व क्षेत्रवासीयो द्वारा आयोजित श्री धाम वृंदावन के कलाकारों द्वारा रासलीला में कृष्ण जन्म का वर्णन किया गया मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा में राजा उग्रसेन का राज था। कंस उनका पुत्र था, लेकिन राज्य के लालच में अपने पिता को सिंहासन से उतारकर वह स्वयं राजा बन गया और अपने पिता को कारागार में डाल दिया। 

कहा जाता है कि कृष्ण को जन्म देने वाली देवकी कंस की चचेरी बहन थीं। देवकी का विवाह वासुदेव के साथ हुआ। कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह धूमधाम से किया और खुशी से विवाह की सभी रस्मों को निभाया। जब बहन को विदा करने का समय आया तो कंस देवकी और वासुदेव को रथ में बैठाकर स्वयं ही। रथ चलाने लगा। तभी अचानक ही आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस काल होगा। आकाशवाणी सुनते ही कंस अपनी बहन को मारने जा रहा था तभी वासुदेव ने उसे समझाते हुए कहा कि तुम्हें अपनी बहन देवकी से कोई भय नहीं है। 

देवकी की आठवीं संतान से भय है। इसलिए वे अपनी आठवीं संतान को कंस को सौंप देंगे। कंस ने वासुदेव की बात मान ली, लेकिन उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद डाल दिया। जब भी देवकी की कोई संतान होती तो कंस उसे मार देता इस तरह से कंस ने एक-एक करके देवकी की सभी संतानों को मार दिया।इसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया। श्री कृष्ण के जन्म लेते ही कारागार में एक तेज प्रकाश छा गया। 

कारागार के सभी दरवाजे स्वतः ही खुल गए, सभी सैनिको को गहरी नींद आ गई। वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और कहा कि उन्होंने ही कृष्ण रूप में जन्म लिया है।विष्णु जी ने वासुदेव जी से कहा कि वे उन्हें इसी समय गोकुल में नन्द बाबा के यहां पहुंचा दें और उनकी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें। वासुदेव जी गोकुल में कृष्ण जी को यशोदा जी के पास रख आए वहां से कन्या को ले आये और कंस को दे दी। वह कन्या कृष्ण की योगमाया थी। 

जैसे ही कंस ने कन्या को मारने के लिए उसे पटकना चाहा कन्या उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई। इसके बाद भविष्यवाणी हुई कि कंस को मारने वाले ने जन्म ले लिया है। वह गोकुल में पहुंच चुका है। तब से कृष्ण जी को मारने के लिए कंस ने कई राक्षसों को भेजा, लेकिन बचपन में भगवान ने कई लीलाएं रचीं और सभी राक्षसों का वध कर दिया। 

जब कंस ने कृष्ण को मथुरा में आमंत्रित किया तो वहां पर पहुंचकर भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई और उग्रसेन को फिर से राजा इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य सुरेश प्रकाश मिश्रा पप्पू भघैया  पूर्व मगन लाल शुक्ला चंद्र प्रकाश दीक्षित अजीत विपिन शुक्ला सोनू बद्री विशाल मिश्रा भाघैय शिव भगवान मिश्रा आराध्य मिश्रा सोनू सहित सैकड़ो की संख्या में भक्त जन उपस्थित रहे।