भिखमंगे कटोरे में बेरोज़गारी भत्ता

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

जनता बड़ी समझदार है। उसके सामने घुमा-फिराकर बात करना बेकार है। सीधी सी बात यह है कि फलाने राज्य में चुनाव है। फलाने पार्टी ने जनता को अपने जाल में फांसने के लिए एक तरकीब सोची है। त्यौहारों में ग्राहकों को फांसने के लिए कंपनियाँ जितने रंगीन प्रचार करते हैं, उससे कई गुना ज्यादा प्रचार नेतागण चुनाव के समय करते हैं। दोनों का काम मुनाफा कमाना है। 

भले इसमें ‘टू इन वन टाइप ग्राहक-कम-मतदाता’ टांय-टांय फिस्स ही क्यों न कर दे। इस बार फलाना पार्टी ने बेरोजगारी भत्ता के नाम पर बेकार, लाचार और हवा के साथ होड़ लेकर फालतू में घूमने वाले लोगों को रिझाने का पैंतरा फेंका। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि यह योजना क्या है‚ कौन व्यक्ति इसके लिए पात्र है‚ योजना के क्या फायदे हैं और योजना का फायदा उठाने के लिए कौन सी प्रक्रिया पूरी करनी होगी-

क्या है योजना

वैसे यह योजना बेरोजगारों के लिए है। लेकिन अंदर की बात यह है कि काम-धंधे वाले भी आवेदन कर सकते हैं। बशर्ते कि आपकी पहुँच होनी चाहिए। बेरोजगारी की महामारी कोरोना से भी अधिक है। समय ऐसा आ गया है कि हाथ धोने के लिए साबुन मिले न मिले नौकरी से हाथ धोने वाले अधिक मिल जायेंगे। 

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए फलाना पार्टी ने ‘बेरोजगार भत्ता ले और कुछ मत दे'  नाम से एक ऐसी योजना शुरू की जिसमें ‘मत’ शब्द का प्रयोग ‘क्रिया’ के रूप में नहीं ‘संज्ञा’ के रूप में हुई है। इसके लिए पात्र व्यक्ति फलाना पार्टी के ऑफिस में अपना नाम दर्ज करवाकर लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए पात्र व्यक्ति का ‘अठारह वर्ष’ का होना जरूरी है। अनिवार्य शर्त यह है कि वे फलाना पार्टी के निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित हों। विशेष बात कि यहाँ पर रंग, जात-पात, धर्म, भाषा, प्रांत के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।    

योजना की खास बातें

यह योजना मात्र चुनावों तक खुली है। ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर भत्ते के लिए उन बेरोजगारों का चयन किया जा रहा है जो मनुष्य होने से पहले मतदाता हैं। वैसे मनुष्य होना अनिवार्य शर्त नहीं है। ऐसे बेरोजगार जो अपने साथ अधिक मतबल रखते हैं, उनसे पार्टी का मतलब होता है।

कितनी बार मिलेगा लाभ

इस योजना के अंतर्गत बेरोजगार पाँच साल में एक बार ही लाभ उठा सकते हैं। उस दिन पार्टी वाले आपके पैरों में गिरेंगे। बाकी दिनों में जनता उनके पैरों में गिरेगी। गिरने की प्रक्रिया दोनों ही संदर्भों में अनिवार्य शर्त रहेगी। एक बार भत्ता मिल जाने पर आप रोजगार कहलायेंगे। यदि पार्टी चुनाव में जीत जाती है तो वह आपको किसी भी कारण से लड़ा सकती है, झुका सकती है, तोड़ सकती है, किंतु आप उन्हें बेरोजगारी के नाम पर डरा-धमका नहीं सकते। अन्यथा यह जघन्य अपराध माना जाएगा। इसके लिए कड़ी सजा भी मिल सकती है।

पात्रता के क्या हैं नियम

इस योजना का लाभ वे ही लोग उठा सकते हैं जो खुद को बहुत शातिर, बदमाश, चालाक और जालसाज़ समझते हैं। ईमानदार और भोले-भाले लोग इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते। यहाँ बिचौलियों का राज धड़ल्ले से चलता है, इसलिए वे औने-पौने दाम में आपका सामूहिक मत कई गुना कीमतों में पार्टी के अध्यक्ष को बेच देंगे। चुनाव के बाद बिचौलियों को बिचौलिया कहना अवैध माना जाएगा। उन्हें संतरी, ठेकेदार और पीए के नाम से ससम्मान बुलाना होगा।

कहाँ करें आवेदन

पहुँचे हुए लोगों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। उनकी पहुँच ही उनका आवेदन माना जाएगा। जी हुजूरी, सलाम ठोकने और अपने साथ ऐसे वर्ग को लेकर चलने वाले के आवेदन तत्काल स्वीकार किए जायेंगे। आवेदन करने वाला दूसरे आवेदनकर्ता से कतई बात नहीं करेगा। चूंकि बेरोजगारी भत्ता सभी को एक समान नहीं मिलेगा इसलिए उनका एक-दूसरे से बात करना व्यर्थ है। कुल मिलाकर बेरोजगारी भत्ता बेरोजगारों को छोड़कर पार्टी के रोज़गारों को दिया जाएगा।             

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’, मो. नं. 73 8657 8657