सर्दी के मौसम में बुजुर्गों को करना चाहिए इन योगासनों का अभ्यास, रोगों से रहेंगे दूर

सर्दियों में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ठंड बढ़ने के साथ खांसी, सर्दी और जुकाम व बुखार होना सामान्य समस्या है। ठंड के मौसम में सबसे अधिक समस्या बच्चों और बुजुर्गों को हो सकती है। इस मौसम में शारीरिक सक्रियता कम होने और व्यायाम या टहलने के लिए लोग घर से बाहर निकलने से बचते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। ऐसे में अगर आप ठंड व कोहरे के कारण टहलने नहीं जा पा रहे हैं और सर्दियों के रोगों से बचना चाहते हैं तो घर पर ही योगासन कर सकते हैं।

सर्दी के मौसम में बुजुर्गों के जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। कमजोर इम्यूनिटी के कारण वृद्धजनों को जल्द ही खांसी व जुकाम होने की संभावना रहती है। ऐसे में यहां आपको सर्दियों के लिए असरदार योगासन बताए जा रहे हैं, जिसके अभ्यास से बुजुर्ग रोग से दूर रह सकते हैं।

बालासन

बुजुर्गों को कमजोरी और थकान की शिकायत रहती है, इस योगासन के नियमित अभ्यास से कमजोरी दूर होती है। बालासन के अभ्यास से तनाव कम होता है, साथ ही ऊर्जा मिलती है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब दोनों टखने और एड़ियों को आपस में एक दूसरे से टच करें। गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर लाएं और आगे की ओर झुकें। फिर पेट को दोनों जांघों के बीच लाते हुए सांस छोड़ें। इस अवस्था में कुछ देर रूके। बाद में घुटनों को सीध में कर लें और वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं। 

ताड़ासन

ताड़ासन के जरिए पूरा शरीर स्ट्रेच होता है। इस योग को करने के लिए सीधे खड़े होकर पैरों के बीच कुछ दूरी रखें। गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और स्ट्रेच करके एड़ी उठाते हुए पैर की उंगलियों पर खड़े हो जाएं। इस अवस्था में शरीर के हर अंग में खिंचाव को महसूस करेंगे। अब कुछ देर इसी अवस्था में रूकने के बाद सामान्य स्थिति में लौट आएं। इस आसन को 10 से 15 बार दोहराएं।

वृक्षासन

वृक्षासन योग कई प्रकार से लाभकारी है। शरीर में रक्त के संचार को ठीक बनाए रखने से लेकर चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को दूर करने कूल्हों-पैरों की हड्डियों-मांसपेशियों को मजबूती देने और आत्मविश्वास बढ़ाने में इस योग के लाभ हैं।

वृक्षासन को करने के लिए सीधे खड़े होकर बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए दाएं पैर को मोड़कर तलवे को बाएं पैर की जांघ पर रखें। इस स्थिति में संतुलन बनाएं और हाथों को जोड़ते हुए सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की मुद्रा ले लें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें, बाद में दूसरे पैर से भी प्रक्रिया को दोहराएं।