यकीन बहुत दिलाते हो

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


यकीं बहुत दिलाते हो पर हमें यक़ीन हो चला है,

कि तेरे और मेरे दरम्यां मीलों का फासला है।


अपने दिल की मल्लिका बताते हो तुम मुझको,

जाने क्यों  डर लगता कि इश्क़ तेरा मनचला है।


यूँ तो ठहर गये मेरे नज़्म 'सिर्फ'तुम पर,

पर दिल में बेचैनियों का ज़लज़ला है।


तेरी मोहब्बत का इक़राम करते हैं सनम,

इस दिल को इक तू ही लगता भला है।


मिट गये रंज-ओ-ग़म सूरत तेरी देख 'संवेदना',

बेपनाह मोहब्बत का चल पड़ा सिलसिला है।


             डॉ. रीमा सिन्हा

               लखनऊ