मौसम

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


मौसम मोहब्बत का खुद न जाने क्यों चल के आया है,

रिमझिम   ये   सावन  फिर   बरसात  ले  आया है।


सारे शहर में सिर्फ़ हमको ही न जाने क्यों  भिगाया है, 

रिमझिम  ये   सावन  फिर  बरसात  ले  आया  है।


पहली   मोहब्बत   है  और   पहली  ये  बारिश है,

रिमझिम   ये   सावन  फिर  बरसात  ले  आया है।


ये   आसमां  खुशनसीबी  मेरी   सारे   ज़माने   में,

रिमझिम   ये  सावन   फिर  बरसात  ले  आया है।


राहें   अब  सारी  तुझसे   ही  आकर  मिल  जाती, 

रिमझिम  ये   सावन  फिर  बरसात  ले  आया  है।


तू जो आया मेरे जीवन में  बदली  मौसम  की  हवा,

रिमझिम  ये  सावन  फिर  बरसात  ले   आया  है।


मुझको तो बस तेरी ही न जाने  क्यों ख़ुमारी है छाई,

रिमझिम  ये  सावन  फिर  बरसात  ले  आया  है।


आजा इस ख़ुशी में भीगने को न जाने मन क्यों चाहे,

रिमझिम  ये  सावन  फिर  बरसात  ले  आया  है।


सुमंगला सुमन

मुम्बई