दो टूक

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

ना कोई उम्मीद है, 

ना कोई उत्साह। 

फिर भी मन की चाह है, 

निकले कोई राह। 

दिखे जिसमें समता भी। 

धीरु भाई