गजल

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

             

थाम लो गर हाथ मेरा जिंदगी बन जाएंगे,

दिल को रोशन जो करे वो रोशनी बन जाएंगे।


प्यार के रंगों में सजकर बंदगी बन जाएंगे,

आजमाकर देखलो तेरी खुशी बन जाएंगे।


बेरहम थे अब तलक अब आदमी बन जाएंगे,

तुम अगर कह दो सनम तेरी अभी बन जाएंगे।


बस दुआ मैंने खुदा से एक ही की है सनम

तुम अगर चंदा बनो  हम चांदनी बन जाएंगे।


आपसे हम दूर रहकर जी नहीं सकते कभी

 खत्म गर गुस्सा न होगा अजनबी बन जाएंगे


स्वरचित/ अप्रकाशित

कुमारी गुड़िया गौतम (जलगांव) महाराष्ट्र