मोहब्बत खुदा की इबादत है

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


मोहब्बत इस जग मे खुदा की इबादत है

ये रब की मेहर और उसकी इजाजत है

कमजर्फ़ है जो इश्क को नापाक कहते है

प्रेमियों की खुदा ही करता हिफाजत है


दिल से दिल का रिस्ता अजीब होता है

मन की बातें तो मन से महसूस होता है

पहुँच जाती सारी बातें उन तक  सभी

अंतर्मन का जो भी अब सोच होता है


हमराह हो सच्चा तो वो मशहूर होता है

वो कभी दिल से हमारे कहाँ दूर होता है

जमाना लाख कोशिश करे दूर करने की

दिल का रिस्ता कभी ना कमजोर होता है


सबके नसीब मे कहाँ अब प्यार होता है

मिलता उसे जो सच्चा हकदार होता है

नाहक ही हम प्रेम को बदनाम करते है

प्रेमियों पर तो रब भी मेहरबान होता है


रचनाकार

प्रमेशदीप मानिकपुरी

आमाचानी धमतरी छ.ग.

9907126431