युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
शरद पूर्णिमा की रात निराली
चंदा संग चांदनी दिखे अलबेली
गिन ना पाहु में यही हे पहेली
सब साथ साथ लगे सहेली
चाँद बैठा कृष्ण मानो जैसा
रचाई सब गोपियों नें रास
सबसे अलग खूबसूरत चंदा
ढूंढ़ रहा कही अपनी राधा
आज की रात हे सबसे खास
चाँद की कुछ और हि हे बात
लोरी, या शायरी या जज़्बात
परछाई से उसके दूध में मिठास
कभी दिखे तो कभी छुप जाये
लुकाछुपी वह हमसे क्यों खेले
राह देखे उसकी आज हर नारी
करें पूर्णिमा को चाँद पूजा तयारी
कु, कविता चव्हाण, जलगांव, महाराष्ट्र