रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


सुकून नहीं वो जहाँ वो जगह छोड़ दो

जब रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो

कुछ दिन लगेगा सब मुश्किल मगर

जब रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो


तिल तिल मरने से अच्छा है दूर रहें

स्वाभिमान बेच कर कैसे जिंदा रहें

झूठे रिश्तों की सारी दीवारें तोड़ दो

जब रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो


झूठी प्यार मुहब्बत झूठी हर अदा

झूठ ओढे हो रिश्ते तो कैसी सदा

स्वभिमान हेतु सब कुछ छोड़ दो

जब रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो


मर्यादा और रिश्तों मे गर सम्मान नही

एक दूजे के लिए गर स्वाभिमान नही

ऐसे खोखले रिश्तों मे रहना छोड़ दो

जब रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो


अपनापन का जब कोई स्थान नहीं

अपनत्व का भी कोई पहचान नहीं

ऐसे दोगले लोगो को स्वयं छोड़ दों

जब रिश्ते बोझ बन जाये तो तोड़ दो


रचनाकार

प्रमेशदीप मानिकपुरी

आमाचानी धमतरी छ.ग.

9907126431