Jivitputrika vrat 2023: संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करें जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का पाठ

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

Jivitputrika vrat 2023: मान्यताओं के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस साल जीवित्पुत्रिका का व्रत 06 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप इस उपवास को सच्चे दिल से रखते हैं तो आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। 

जितिया व्रत कथा 

गंधर्वों के राजकुमार जीमूतवाहन जो अपने परोपकार और पराक्रम के लिए जाने जाते थे। एक बार जीमूतवाहन के पिता उन्हें राजसिंहासन पर बिठाकर वन में तपस्या के लिए चले गए। लेकिन उनका मन राज-पाट में नहीं लगा। इसी के चलते वे अपने भाइयों को राज्य की जिम्मेदारी सौंप कर अपने पिता के पास उनकी सेवा के लिए चले गए, जहां उनका विवाह मलयवती नाम की कन्या से हुआ।

एक दिन भ्रमण करते हुए उनकी भेंट एक वृद्ध स्त्री से हुई, जो नागवंश से थी। वो काफी ज्यादा परेशान और डरी हुई थी। उसकी ऐसी हालत देखकर जीमूतवाहन ने उसका हाल पूछा। उस वृद्धा ने बताया कि नागों ने पक्षीराज गरुड़ को यह वचन दिया है कि वे प्रत्येक दिन एक नाग को उनके आहार के रूप में उन्हें देंगे। उस स्त्री ने रोते हुए बताया कि उसका एक बेटा है, जिसका नाम शंखचूड़ है। आज उसे पक्षीराज गरुड़ के पास आहार के रूप में जाना है।

जैसे जीमूतवाहन ने वृद्धा की हालत देखी उन्होंने उसे आश्वासन दिया कि वो उसके पुत्र के प्राणों की रक्षा करेंगे। वचन के अनुसार, जीमूतवाहन पक्षीराज गरुड़ के समक्ष प्रस्तुत हुए। और गरुड़ उन्हें अपने पंजों में दबोच कर साथ ले गए। उस दौरान उन्होंने जीमूतवाहन के कराहने की आवाज सुनी और वे एक पहाड़ पर रुक गए, जहां जीमूतवाहन ने उन्हें पूरी घटना बताई।

पक्षीराज गरुड़ जीमूतवाहन के साहस और परोपकार भाव को देखकर प्रसन्न हो गए, जिस वजह से उन्होंने जीमूतवाहन को प्राणदान दे दिया। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे अब किसी नाग को अपना आहार नहीं बनाएंगे। जानकारी के लिए बता दें कि तभी से संतान की सुरक्षा और उन्नति के लिए जीमूतवाहन की पूजा का विधान है, जिसे लोग आज जितिया व्रत के नाम से भी जानते हैं।