पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, गैंगस्टर मुकदमे में मिली राहत

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

-अदालत ने कहा-सुनवाई के दौरान कठोर कार्रवाई पर रहेगी रोक   

-राज्य सरकार से गैंगस्टर के मुकदमे का किया रिकार्ड तलब 

-बीते साल मिजार्पुर थाने में दर्ज किया गया था गैंगस्टर का मुकदमा 

सहारनपुर। पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कहा है कि अदालत में सुनवाई पूरी होने तक गैंगस्टर एक्ट में कायम मुकदमे में पूर्व एमएलसी के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाए। साथ ही स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी कर अदालत ने रिकार्ड तलब किया है।

पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल और उनके चारों बेटों के खिलाफ बीते साल थाना मिजार्पुर में पुलिस की ओर से नौ अप्रैल -2022 को गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया गया था। 

पूर्व एमएलसी के चारों बेटे जेल में हैं। इसलिए उन पर गैंगस्टर एक्ट तामील करा दिया गया। लेकिन, हाजी इकबाल फरार चल रहे हैं। इस मामले में पुलिस ने धारा 82 कुर्की नोटिस जारी कर दिया। गैंगस्टर एक्ट में धारा 82 के नोटिस के खिलाफ बीते दिनों हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। अदालत में पूर्व एमएलसी तो मौजूद नहीं रहे, लेकिन उनकी तरफ से पावर अटार्नी धारक तनसीफ मौजूद रहे। उन्होंने अधिवक्ताओं के माध्यम से गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे को खारिज करने की मांग की गई।

 लेकिन, हाईकोर्ट ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। पूर्व एमएलसी के अधिवक्ता इंद्रभान यादव के मुताबिक इसके बाद गैंगस्टर एक्ट को खत्म करने के लिए  सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की संयुक्त पीठ ने मामले की सुनवाई की। 

अधिवक्ता इंद्रभान यादव ने बताया कि इस मामले में अदालत ने कहा है कि जब तक अदालत इस मसले पर पूरी सुनवाई नहीं कर लेती, तब तक पुलिस-प्रशासन को कोई भी कठोर कदम नहीं उठाए। साथ ही दूसरे पक्ष को भी नोटिस जारी करने और गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मुकदमे का रिकार्ड भी तलब करने के आदेश दिए हैं।

माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिर 83/22 गैंगस्टर एक्ट की सभी कार्रवाई पर लगाया स्टे। उन्होेने बताया किपूर्व एमएलसी के अधिवक्ता इंद्रभान यादव ने बताया कि होल्डर तनसीफ के शपथपत्र फाइल किया था। जिसमें उच्च न्यायालय प्रयागराज का एक आर्डर नंबर 22140/2023 दि नांक 12- 9- 2023 जो की 482 के अंतर्गत था ।

जिसमें एफआईआर 83/22 गैंगस्टर की सभी प्रोसिडिंग को चैलेंज कि या था। जिसको माननीय न्यायालय द्वारा यह कहकर निरस्त कर दिया गया था इसमें पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर द्वारा एफि डेविट लगाया है सेक्शन 482 सीआरपीसी की पिटीशन को निरस्त किया जाता है।