युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
शुद्ध हवाएं आज भी है
गांवों की गलियारों में,
प्रकृति की वह मीठी यादें
खेतों और खलियानों में।
कोयल की कुहू कुहू
कौवे की कांव कांव,
डाल डाल धूप-छांव
पंछियों के अनेक भाव
तितलियाँ मदमाती
इधर उधर इतराती,
प्रकृति दुल्हन बन
नये नये रूप में आती।
हर प्राणी को छाया ज़रूरी
चाहें वो पशु हो या फिर मानव,
जीने के लिए ऑक्सीजन ज़रूरी
चाहे वो देव हो या फिर दानव।
छाया और ऑक्सीजन
है प्रकृति की सौगात
इसकी कदर हम करते नहीं
दिखाते केवल अपनी औकात।
एक बात तो निश्चित है
प्रकृति का कर रहे हम दुरुपयोग,
अपने स्वार्थ के लिए ही
कर रहे हम उसका उपयोग।
पर्यावरण संजोने के लिए
चलो मिलकर करें एक काज़,
"सुमन" सीखे औरों को भी सिखाएं
वृक्षारोपण का संकल्प लें आज।
सुमंगला सुमन
मुंबई, महाराष्ट्र✍️