युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
कुछ संभावनाएं
मानों ज़िया जा सकता है अभी "और भी" ,
कुछ सवाल
मानों है हक हमारा अभी कुछ "कहने" का ,
कुछ सपनें
मानों ये ही हैं जीवित रहने की "पहचान" ,
कुछ परिस्थितियां
मानों वश में हमारे "कुछ है ही नहीं" ,
कुछ ख्वाहिशें
मानों बाकी है "हमारा सा" हम में ही कहीं ,
कुछ कविताएं
कि संभालकर रख सकेंगे यहां "थोड़ी आदमीयत",
और..कुछ प्रेम
यही एक वो जगह है जहां कोई "शर्त" नहीं !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश