युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सुनो भोले भगवान हमारी,
बस एक ही है अरज हमारी,
जग में मन-भर भर दो खुशियां,
दुखों में कटें न किसी की रतियां।
सुनो भोले भगवान...
शिव ही जीवन और मरण हैं,
भोले हम तेरी ही शरण हैं,
उर में बसी है तेरी सूरत,
शिव आशाओं की मूरत हैं।
सुनो भोले भगवान ....
मनमंदिर की सांझ ढले जब,
रवि किरणें ले आना तुम,
भोले नें जो धरा संवारी,
उसको पावन कर देना तुम।
सुनो भोले भगवान...
तीन लोक के स्वामी हैं वो,
मन के भेद समझ लेते हैं,
पलकें झपकें जितनें पल में,
नव संसार बसा देते हैं।
सुनों भोले भगवान ....
ढूंढ रहा मन रैन-बसेरा,
होगा तब खुशियों का सवेरा,
मन चंचल हो रमा रहेगा,
जहां भोले का होगा डेरा।
सुनो भोले भगवान ...
(131वां मनका)
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'
गांधीनगर, इन्दौर (म.प्र.)