जब जिम्मेदार नशे में हो

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

परवाह नहीं रहती प्रतिष्ठा वतन की,

चमक धूमिल हो रही अपने चमन की,

जब सारे दावे बोगस होता हो,

बकलोली पर फोकस होता हो,

खुद की सनक पर सिस्टम रौंदा जाए,

अपने अनुसार कोई इतिहास सुनाए,

सिकंदर की लड़ाई बहादुर शाह से कराए,

पशु को इंसान और इंसान को पशु बताए,

जब कोई मंहगाई को सुखद बताए,

औरों की प्रगति को दुखद बताए,

सारा समय काम करने वाला

जब दिन भर रहा हो सो,

ऐसा तभी हो सकता है

जब जिम्मेदार नशे में हो,

व्यापारी खुलकर लूट रहा हो,

अत्याचारी गिरफ्त से छूट रहा हो,

जहां शिक्षा का स्तर गिर रहा हो,

जहरीली हवा जिनके लिए समीर रहा हो,

मिथ्या को सही साबित किया जाता हो,

जहां दिमागों पर काबिज़ किया जाता हो,

जहां जातियता चरम हो,

साम्प्रदायिकता गरम हो,

जिम्मेदार जिसके प्रति नरम हो,

सब ठीक होने का भरम हो,

जहां जनता रो रही और

पूंजीपति मजे में हो,

ऐसा तभी संभव है

जब जिम्मेदार नशे में हो।

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छग