युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
शरद पूर्णिमा की रात्रि निराली,
बरस रही चंदा से चांदनी,
अमृत धारा बह रही धरा पर,
हर घर में बना खीर,
रखा छत पर ,
उस खीर में अमृत बरसे ,
चंदा की किरणें समायी खीर में,
औषधि रूपी किरणों ने,
खीर को भी औषधि बना डाला,
प्रकृति झूम रही ,
चंदा की चांदनी में।
अमृत कलश बन ,
चंदा की किरणें,
खुशियां बिखेर रही धरा पर।
रोग शोक मिटाने को आतुर,
ये पावन दिवस।
शीत की शुरुआत भी हुई धरा पर,
उमस का हो रहा अंत ।
शरद पूर्णिमा की रात्रि निराली,
बरस रही चंदा से चांदनी।
सविता राज
मुजफ्फरपुर बिहार