युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
मन भंवरे-सा भोले मेरा,
नित दिन गीत सुनाऊं मैं,
कभी प्रेम से पुलकित होकर,
शिव लिंग पर इठलाऊं मैं।
मन भंवरे-सा ....
नित दिन भोले के मंदिर में,
जमघट-सा लगता रहता है,
बेल पत्र और धतूरे से,
नव श्रंगार हुआ करता है।
मन भंवरे-सा ...
देहरी पार कर भोले आते,
मन-मंदिर हो जाता है,
झलक देख कर सारे जन में,
भक्ति-भाव जग जाता है।
मन भंवरे-सा ....
हांथ धरातल को झुकते हैं,
नयन नीचे हो जाते हैं,
देने की एक रीत बताते,
भोले सीख दे जाते हैं।
मन भंवरे-सा ...
भोले बन भोले-सा जीवन,
किसे रास नहीं आता है,
संग मिले जब-जब भोले का,
जीवन धन्य-धन्य होता है।
मन भंवरे-सा .....
(132 वां मनका)
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'
सी स्पेशल, गांधीनगर, इन्दौर