युगों-युगों से,, युगों-युगों तक..

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

वह तलाशता रहा उसको

प्रार्थनाओं में ,

करता रहा शामिल

दुआओं में ,

न जाने कब से ,

और बीत गए युग

यूं ही !!

वह सोचती रही उसको

कल्पनाओं में ,

सींचती रही प्रतिपल

आशाओं में 

न जानें कब से ,

और बीत गए युग

यूं ही !!

आखिर

दुआएं और कल्पनाएं एकाकार हुईं 

होतीं ही रहीं..

वो लिखते रहे एक-दूसरे को

अपनी-अपनी कविताओं में,

और..

"बीतते" रहे ऐसे ही 

युगों-युगों तक !!

नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश